मनक़बत इमामे हुसैन
मोहम्मद पे सब कुछ लुटाने चले हैं
हुसैन आज सर को कटाने चले हैं
जो बचपन में नाना से वादा किया था
उसे कर्बला में निभाने चले हैं
मिलेगा न तारीख में एसा गा़जी़
लगादे जो औलाद की जाँ कि बाजी़
दिखाए कोयी उनके जैसा नमाजी
जो सजदे में गरदन कटाने चले हैं
बडे़ नाज़ से जिनको पाला नबी ने
जिन्हे रख्खा पलकों पे मोला अली ने
जिन्हे फातिमा बी ने झूला झुलाया
वही तीर सीने पे खाने चले है
यही कह के अकबर की तलवार चमकी
इधर आ सितम गर क्या देता है धमकी
जो अकबर निशानी हैं शाहे उमम की
अली का वो तेवर दिखाने चले हैं
منقبت امام حسین
मो० उस्मान आशिकी़
Lakhimpur Pur kheri up india
Peer / 01 / august / 2022
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