Kalame Ala Hazrat / Vo suye Lalazar Pgirte Hen / वो सुए लालजा़र फिरते हैं / وہ سوئے لالزار پھرتے ہیں

        कलामे आला हज़रत         


वोह सुए लालजार फिरते हैं
तेरे दिन ऐ बहार फिरते हैं

जो तेरे दर से यार फिरते है
दर बदर यूँ ही खार फिरते हैं

आह कल ऐश तो किए हमने
आज वोह बे क़रार फिरते हैं

उस गली का गदा हूँ में जिसमे
मांगते ताज दार फिरते हैं

फूल क्या देखूं मेरी आखों में
दश्ते तैबा के खार फिरते है

हाए गाफिल वो क्या जगेह है जहाँ
पाँच जाते हैं चार फिरते हैं

कोई कियुँ पूछे तेरी बात रजा़
तुझसे शैदा हजार फिरते हैं

           کلام آعلحضرت           



                       مکمل

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Usman Aashiqui Up India
Usman khan

Im usman khan from lakimpur kheri up india

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