नाते पाक
मेरी झोली में रहते है सदा टुकडे़ मोहम्मद के
अज़ल से खा रहा है ये गदा टुकड़े मोहम्मद के
पड़ी है क्या मुझे शाहों के दर पे जाके मांगू में
खिलाता है मुझे मेरा खुदा टुकडे मोहम्मद के
इन्हे खा कर अबू बकरो उमर उस्मान बनते है
कि रुतबे मे कुछ एसे हैं जुदा टुकडे़ मोहम्मद के
मेरे मोला अलीयो फातिमा हस्नेन के सदक़े
मेरी नसलों को भी करना अता टुकड़े मोहम्मद के
है शहरे इल्म खुद आका़ अली हैं उसका दरवाज़ा
तु दरवाज़े से आ और खाएजा टुकडे़ मोहम्मद के
तेरा दामन कभी अल्ताफ खाली हो नहीं सकता
कि देते हैं तुझे आले अबा टुकडे़ मोहम्मद के
नाते पाक
मो० उस्मान आशिकी़
RASULPANH GOLA LAKHIMPUR KHERI UP INDIA
JUMERAAT / 11 / AUGUST / 2022
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