सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा
ये है ज़मीं हमारी ये आसमा हमारा
चैनो सुकूँ है इसमे अमनो अमा हमारा
इक़बाल का है मिस्रा दर्दे ज़बाँ हमारा
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा
हम बुलबुले है इसकी ये गुल सिताँ हमारा
खाके वतन की उलफत मचली है तन बदन में
हुब्बे वतन की उलफत ऐसी है तन बदन में
इक़बाल कहते होंगे ये आज भी कफन में
ग़ुरबत में हों अगर हम रहता हे दिल वतन में
समझो वहीं हमें भी दिल हो जहाँ हमारा
अहेले जहाँ का मन्जर दिखलाया आसमा को
रिश्ता जमीं से किया है बतलाया आसमा को
सर पर हमारे झन्डा लहराया आसमा का
परबत वोह सबसे ऊंचा हमसाया आसमा का
वोह सन्तरी हमारा वोह पासबाँ हमारा
पैगाम दे रहा है वोह अमन का अमाँ का
नामूस है यकी़नन भारत के आशियाँ का
इक़बालियात में है ये फैसला हमारा
परबत वोह सबसे ऊंचा हमसाया आसमा का
वोह सन्तरी हमारा वोह पासबाँ हमारा
हर मोड़ पर संभल कर हर एक पैर रखना
हर एक से ताल्लुक़ लालच बगै़र रखना
अहले वतन की खातिर आमाल खैर रखना
मज़हब नहीं सिखाता आपस में बेर रखना
हिन्दी है हम वतन है हिन्दुसिताँ हमारा
बद खुवाह कीना परवर सब नफ्स के पुजारी
दर परदह कर रहे हैं आपस में मारा मारी
पहले भी डर था हमसे अब भी है खौफ तारी
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुशमन दौरे ज़माँ हमारा
मालूम हो चला है तारीख की ज़बाँ से
एहसास कुछ नहीं है पहुंचे कहाँ कहाँ से
आवाज़ आरही है घर घर मकाँ मकाँ से
यूनानो मिसर रोमा सब मिट गये जहाँ से
अब तक मगर है बाकी़ नामों निशा हमारा
हर दौर चाहता था देखे वोह शाद तुझको
हर शख्स कह रहा था मनकी मुराद तुझको
कियुँ कर कहें भला हम अब खैर आबाद तुझको
ऐ आबे रूद गंगा वोह दिन है याद तुझको
उतरा तेरे किनारे जब कारवाँ हमारा
महकी हुयी फजा़ँ है रौशन हैं उसकी गलियाँ
इसमें है पेड़ पौधे फल फूल गुन्चे कलियाँ
गुज़रे कयी ज़माने गुज़री बहुत सी सदियाँ
गोदी में खेलती हैं इसकी हजा़र नदियाँ
गुलशन है जिनके दम से रश्के जिनाँ हमारा
अज़हर नज़र ना आया बाजारे कहकशाँ में
हूरो मलक फलक में दरहाए इन्सो जाँ में
देखा ना इस ज़मीं पर पाया ना आसमाँ में
इक़बाल कोयी मोहज्ज़म अपना नहीं जहाँ में
मालूम क्या किसी को दरदे निहा हमारा
سارے جہاں سے اچّھا ہندوستاں ہمارا
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